हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है; जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा। 💪
👉 अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो; मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो; मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना; मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो।🕺
👉 मालूम है दुनिया को ये ‘हसरत’ की हक़ीक़त; ख़ल्वत में वो मय-ख़्वार है जल्वत में नमाज़ी।
👉 उदास लम्हों की न कोई याद रखना; तूफ़ान में भी वजूद अपना संभाल रखना; किसी की ज़िंदगी की ख़ुशी हो तुम; बस यही सोच तुम अपना ख्याल रखना।
👉 इस नए साल में ख़ुशियों की बरसातें हों; प्यार के दिन और मोहब्बत की रातें हों; रंजिशें नफ़रतें मिट जायें सदा के लिए; सभी के दिलों में ऐसी चाहते हों!
👉 उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो; जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो; इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है; इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो।
👉 ख़बर नहीं थी किसी को कहाँ कहाँ कोई है; हर इक तरफ़ से सदा आ रही थी याँ कोई है; यहीं कहीं पे कोई शहर बस रहा था अभी; तलाश कीजिये उसका अगर निशाँ कोई है।
👉 ख़बर नहीं थी किसी को कहाँ कहाँ कोई है; हर इक तरफ़ से सदा आ रही थी याँ कोई है; यहीं कहीं पे कोई शहर बस रहा था अभी; तलाश कीजिये उसका अगर निशाँ कोई है।
👉हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम; हर बार तुम से मिल के बिछड़ता रहा हूँ मैं; तुम कौन हो ये खुद भी नहीं जानती हो तुम; मैं कौन हूँ ये खुद भी नहीं जानता हूँ मैं।
👉 कुछ मैं भी थक गयी हूँ उसे ढूँढ़ते-ढूँढ़ते; कुछ ज़िंदगी के पास भी मोहलत नहीं रही; उसकी एक-एक अदा से झलकने लगा था खलूस; जब मुझ को ही ऐतबार की आदत नहीं रही।
👉कागज़ की कश्ती से पार जाने की ना सोच; चलते हुए तुफानो को हाथ में लाने की ना सोच; दुनिया बड़ी बेदर्द है, इस से खिलवाड़ ना कर; जहाँ तक मुनासिब हो, दिल बचाने की सोच।
👉 सामने मंज़िल थी और पीछे उसका वजूद; क्या करते हम भी यारों; रुकते तो सफर रह जाता चलते तो हमसफ़र रह जाता।
👉सियासी आदमी की शक्ल तो प्यारी निकलती है; मगर जब गुफ़्तगू करता है चिंगारी निकलती है; लबों पर मुस्कुराहट दिल में बेज़ारी निकलती है; बड़े लोगों में ही अक्सर ये बीमारी निकलती है।
👉जाने क्या सोच के लहरे साहिल से टकराती हैं; और फिर समंदर में लौट जाती हैं; समझ नहीं आता कि किनारों से बेवफाई करती हैं; या फिर लौट कर समंदर से वफ़ा निभाती हैं।
👉जहाँ याद न आये तेरी वो तन्हाई किस काम की; बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की; बेशक़ अपनी मंज़िल तक जाना है हमें; लेकिन जहाँ से अपने न दिखें, वो ऊंचाई किस काम की।
👉 प्यार में कोई तो दिल तोड़ देता है; दोस्ती में कोई तो भरोसा तोड़ देता है; ज़िंदगी जीना तो कोई ग़ुलाब से सीखे; जो खुद टूट कर दो दिलों को जोड़ देता है।
👉 सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन से पहले; सज़ा खता-ए-नज़र से पहले, इताब ज़ुर्मे-सुखन से पहले; जो चल सको तो चलो के राहे-वफा बहुत मुख्तसर हुई है; मुक़ाम है अब कोई न मंजिल, फराज़े-दारो-रसन से पहले।
👉मंज़िलों के ग़म में रोने से मंज़िलें नहीं मिलती; हौंसले भी टूट जाते हैं अक्सर उदास रहने से।
👉फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में; फर्क होता है किस्मत और लकीर में; अगर कुछ चाहो और न मिले तो समझ लेना; कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में।
👉 लाखों में इंतिख़ाब के क़ाबिल बना दिया; जिस दिल को तुमने देख लिया दिल बना दिया; पहले कहाँ ये नाज़ थे, ये इश्वा-ओ-अदा; दिल को दुआएँ दो तुम्हें क़ातिल बना दिया।
👉 इस डूबी हुई नाव का किनारा हो तुम; मेरी ज़िंदगी का आखिरी अंजाम हो तुम; यूँ तो हर मुश्किल को पार करने की हिम्मत है मुझमे; बस तुम को खोने के अंजाम से डरते हैं हम।
👉 रहिये अब ऐसी जगह चलकर, जहाँ कोई न हो; हम सुख़न कोई न हो और हम ज़ुबाँ कोई न हो; बेदर-ओ-दीवार सा इक घर बनाना चाहिए; कोई हमसाया न हो और पासबाँ कोई न हो; पड़िए गर बीमार, तो कोई न हो तीमारदार; और अगर मर जाइए, तो नौहाख़्वाँ कोई न हो।
👉बेचैन बहुत फिरना घबराये हुए रहना; इक आग से जज्बों की भड़काए हुए रहना; आदत ही बना ली है तुम ने तो मुनीर अपनी; जिस शहर में भी रहना उकताए हुए रहना!
👉 तुमने चाहा है मुझे ये करम क्या कम है; तुम प्यार करते हो मुझसे ये भरम क्या कम है; एक दिन ये भरम टूटेगा मेरा, उफ़ किस्मत का ये सितम क्या कम है
👉 हर मुस्कुराहट से सरगरनी है; क्या यही आलिम जवानी है; आ तुझे एक राज़ बतलाऊं, मैं भी फ़ानी हूँ, तू भी फ़ानी है।
👉 हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद न कर दे, तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर; ए दिल! तुझे दुश्मनों की पहचान कहाँ, तू हल्क़ा-ए-यारां में भी मोहतात रहा कर।
👉कोई गुजराती बचा लाया; कोई बिहारी बचा लाया; कोई तेलुगुओं के लिए हाहाकार करने लगा; इसी गहमा-गहमी में हिन्दुस्तानी बह गया।
👉 रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये; चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ; चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जायें दोस्तों; जब मुसीबत सर पे आ जाए, तो याद आती है माँ।
👉 लगे है फोन जबसे तार भी नहीं आते; बूढी आँखों के अब मददगार भी नहीं आते; गए है जबसे शहर में कमाने को लड़के; हमारे गाँव में त्यौहार भी नहीं आते।
👉 सरहदों पर बहुत तनाव है क्या; कुछ पता तो करो चुनाव है क्या; खौफ बिखरा है दोनों समतो में; तीसरी समत का दबाव है क्या।
👉सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा; इतना मत चाहो उसे वो बे-वफ़ा हो जायेगा; हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है; जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा।
👉 एक ही चौखट पे सर झुके; तो सुकून मिलता है; भटक जाते हैं वो लोग; जिनके हजारों खुदा होते है।
👉वो ज़ालिम मेरी हर ख्वाहिश ये कह कर टाल जाता है; दिसम्बर जनवरी में कौन नैनीताल जाता है; मुनासिब है कि पहले तुम भी आदमखोर बन जाओ; कहीं संसद में खाने कोई चावल दाल जाता है।
👉आँख में पानी रखो, होठों पे चिंगारी रखो; ज़िंदा रहना है तो, तरकीबें बहुत सारी रखो; ले तो आये शायरी बाज़ार में राहत मियाँ; क्या ज़रूरी है की लहजे को भी बाज़ारी रखो।
👉 हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली; कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली; सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ; वो जिंदगी ही क्या जो छाँव-छाँव चली।
👉 खामोश बैठे हैं तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं; और ज़रा सा हंस लें तो लोग मुस्कुराने की वजह पूछ लेते है।
👉 कुछ इस तरह मैंने; जिंदगी को आसां कर लिया; किसी से माफ़ी मांग ली; किसी को माफ़ कर दिया।
👉 जलते घर को देखने वालों, फूस का छप्पर आपका है; आपके पीछे तेज़ हवा है, आगे मुकद्दर आपका है; उस के क़त्ल पे मैं भी चुप था, मेरा नम्बर अब आया; मेरे क़त्ल पे आप भी चुप है, अगला नंबर आपका है।
👉फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में; फर्क होता है किस्मत और लकीर में; अगर कुछ चाहो और ना मिले; तो समझ लेना कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में।
👉 यूनानी मिश्र और रोमी सब मिट गये जहाँ से; अब तक मगर हैं बाकी नाम-ओ-निशा हमारा; कुछ बात हैं के हसती मिटती नहीं हमारी; सदियों रहा हैं दुश्मन दौर-ए-जहाँ हमारा।
👉 हम उबलते हैं तो भूचाल उबल जाते हैं; हम मचलते हैं तो तूफ़ान मचल जाते हैं; हमें बदलने की कोशिश करनी है ऐ दोस्तों; क्योंकि हम बदलते हैं तो इतिहास बदल जाते है।
👉 आओ झुक कर सलाम करें उनको; जिनके हिस्से में यह मुकाम आता है; खुशनसीब होता है वो खून; जो देश के काम आता है।
👉 ग़ज़लों का हुनर साकी को सिखायेंगे; रोएंगे मगर आँसू नहीं आयेंगे; कह देना समंदर से हम ओस के मोती हैं; दरिया की तरह तुझसे मिलने नहीं आयेंगे।
👉 बीत गया है, जो साल भूल जाइये; इस नए साल को पूरे मन से गले लगाइये; मांगते हैं दुआ हम रब से सर झुका कर; नए साल के सारे सपने पूरे हो जाए आपके।
👉 निगाहों में मंज़िल थी; गिरे और गिर कर संभलते रहे; हवाओं ने तो बहुत कोशिश की; मगर चिराग आँधियों में भी जलते रहे।
👉 जली रोटियों पर बहुत शौर मचाया तुमने; माँ की जली उँगलियों को देख लेते तो; भूख ही उड़ गई होती।
👉शाम सूरज को ढलना सिखाती है; शम्मा परवाने को जलना सिखाती है; गिरने वाले को तकलीफ तो होती है मगर; ठोकर इंसान को चलना सिखाती है।
👉 अगर कुछ सीखना ही है; तो आँखों को पढ़ना सीख लो; वरना लफ़्ज़ों के मतलब तो; हजारों निकाल लेते है।
👉फूल कभी दोबारा नहीं खिलते; जन्म कभी दोबारा नहीं मिलते; मिलते है लोग हजारों पर ; हजारों गलतियां माफ़ करने वाले; माँ बाप दोबारा नहीं मिलते।
👉 तुम यहाँ धरती पर लकीरें खींचते हो; हम वहाँ अपने लिये नये आसमान ढूंढते हैं; तुम बनाते जाते हो पिंजड़े पे पिंजड़ा; हम अपने पंखों में नयी उड़ान ढूंढते हैं।
0 Comments